अब फैसला आपके हाथ में है की आपको क्या करना है!!!
आज की मेरी ये पोस्ट इंसान को किस रास्ते पर चलना चाहिए उस के बारे में है।।। क्योंकि फेसला हर इंसान का खुद का होता है के उसे क्या करना है या क्या नही करना। हम सब इस दुनिया में एक खास मकसद की वजह से पैदा किए गए है।।। दुनिया में आना सिर्फ और सिर्फ टाइम वेस्ट करने के लिए तय नहीं है और नाही अपने मां बाप को सरमिंदा करने वाले काम करने के लिए है।।
बल्कि इंसान का इस दुनिया में आना एक मकसद तय करके भेजा गया है।।
इस्लामिक तोर तरीको को समझ ने के बाद हमे ये पता चलता है के हमारा इस दुनिया में आना ऐसा है की जैसे ""किसी किसान को खेती करने के लिए भेजा जाए और वो उसमे कितनी मेहनत करके अनाज पैदा करता है या इस खेती से कितना फायदा हासिल कर सकता है ,, ये सिर्फ उस किसान पर ही डिपेंड करता है।।""
इंसान के पैदा होनेके बाद परवरिस मां बाप के कंधे पर होती है।। परवरिश के साथ साथ मां बाप बच्चे को पड़ना लिखना सीखाते है उसे स्कूल भेजा जाता है।। स्कूल में की हुवी पेंसिल की लिखावट की गलतियों को रबर से मिटा ना सीखता है बच्चा,,, और तभीसे गलतियां करना भी सिख जाता है।। और उन गलतियों को या तो सुधारता है या फिर ज्यादा गलतियां करना भी सिख जाता है।। अच्छी परवरिस में पले बड़े बच्चे अच्छी बातो को सीखते है और बुरी परवरिस के बच्चे सायद उसी बचपन से बुरे बन ने की हरोड़ में सामिल हो जाते है।। फिर जब वो जैसे जैसे बडे होते है वो अपने फैसले खुद लेना सीख जाते है।।
बड़े होते ही एक ऐसा स्टेज आता है लाइफ का जहां पर आज कल न जाने कितने ही लोग गलतियां करने लगे है और ना जाने कितने लोग अपनी जिंदगी को बर्बाद कर रहे है।। ये ऐसा स्टेज है लाइफ का जहां सब से ज्यादा समजदारी और धैर्य से फैसले लेने होते है।।
पर अफसोफ की बात है के आज कल के इस दौर में सब इंस्टेंट मिल जाता है, और इंस्टेंट मिलने पर दुनिया में सब कुछ फास्ट फॉरवर्ड हो गया है।।। जिस से कुछ लोगो की सोच भी सायद बोहोत ही फास्ट फॉरवर्ड हो गई है।।
अच्छी बात होती अगर ये फास्ट फॉरवर्ड सोच अपने नेक मकसद को पाने के लिए होती या दुनिया ही मैं कुछ ऐसा करने की होती जिस से सबका अच्छा ही हो और इसमें भी खास तौर पर कम से कम खुद अपना ही अच्छा हो सके।।
आज कल के नौजवान जोकि इसी स्टेज पर आकर सबसे ज्यादा गलतियां करते है और जिस से ना सिर्फ खुद उनकी बल्कि उनके घर परिवार और सबकी जिंदगियो में सुकून गायब हो चुका है।।
उमर 18 साल तक भी नहीं पहोचती और पढ़ाई को छोड़ कर प्यार के पीछे भागने लगे है।। मैं इस बाद के खिलाफ नहीं हूं के किसीको इस रास्ते पर नही चलना चाहिए पर हर एक चीज के लिए एक वक्त होता है जिस से आपके फैसले आपकी जिंदगी को बर्बाद ना करे बल्कि कुछ ऐसा करे जिस से आपकी जिंदगी और आपके परिवार को भी बेसुकिनी का सामना न करना पड़े।।
कुछ बातो को समझे आप जैसा की मैंने ऊपर पिक्चर में समझाने की कोशिश की है बस उसे आप समझले।।
जिंदगी मिलने के बाद इंसान के फैसले कैसे होते है !! तब क्या होता है !! ये आप खुद देखे।।👇
(1) इंशान 👉 प्यार 👉 अगर धोका मिला तो 👉 मानसिक स्ट्रेस या आत्म हत्या।।
(2)। इंसान 👉 प्यार 👉 बेइज्जती 👉 लोग हसेंगे या मां बाप की बेइज्जती।।
(3) इंसान 👉 पढ़ाई 👉 नौकरी या आत्म निर्भर 👉 पैसा 👉 प्यार 👉 इज्जत 👉लगभग सब कुछ मिल जाता है।।
हर किसीको खुश रखना सायद हम सबके बस में नहीं होता पर इतनी कोशिश तो कर ही सकते है की हमारी वजह से हमारे अपने परिवार को या किसी भी अज़ीज़ को कोई ढेस ना पहुंचे।।
दुनिया में हमें भेजा गया है तो अच्छे काम करने की ही गरज से भेजा गया है।। जायज तरीके से हर चीज को करना हम पर फर्ज है । बुरी सोच, बुरे फैसले, गलत काम, हराम काम, गलत तरीके से जिंदगी जीना बोहोत सारे गुनाहों को दावत देता है और दिल को सियाह कर देता है जिस से इंसान की जिंदगी से सुकून ही गायब हो जाता है।। ऐसा इंसान ना तो अपना कोई रिश्ता सही तरीके से निभाता है और नाही अपनी खुदकी जिंदगी को सवारता है।। बस उसे मिलती है तंगदस्ती, बेरोजगारी, बीमारी, गरीबी या लाचारी और ऐसे इंसान की वजह से ही पूरे परिवार को भी इसकी सजा मिलती रहती है।।
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