Namaz Ka Sunni Tarika In Hindi/नमाज़ का सुन्नी तरीका इन हिंदी/दीनी मालूमात इन हिंदी

हुज़ूर सलल्ललाहू अलयही वसल्लम का फरमान हैं की: "नमाज़ मेरी आँखों की ठंडक है।"✨
जो बंदा नमाज़ नहीं पढ़ता वो अल्लाह की नज़र में सबसे नीचे है। कुरआन दुनिया में हर मुस्लिम मर्द और औरत के लिए नमाज़ पढ़ने का हुकुम देता है। और हर मोमिन पर फर्ज है की वो पांच वक्त की फर्ज नमाजों को अदा करें।
पर आज भी, बहुत से लोग Namaz Ka Sunni Tarika/नमाज़ का सुन्नी तरीके से अनजान हैं। इस पोस्ट में, हम आपको Namaz Ka Sunni Tarika/नमाज़ का सुन्नी तरीका हिंदी में बताएंगे ताकि आप को सही सुन्नी तरीका मालूम हो सकें।
आइए सबसे पहले नमाज की कुछ शर्ते जान लें ताकि इबादत और नेकी में इजाफा कर सकें और पाक साफ रहकर ही नमाज के फवाइद भी हासिल कर सकें।
नमाज़ की शर्ते👇
नमाज़ की कुछ शर्ते हैं। जिनका पूरा किये बिना नमाज़ नहीं हो सकती या सही नहीं मानी जा सकती। कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए होना ज़रूरी है, तो कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए पूरा किया जाना ज़रूरी है। तो कुछ शर्तो का नमाज़ पढ़ते वक्त होना ज़रूरी है, नमाज़ की कुल शर्ते कुछ इस तरह से है।
- बदन का पाक होना
- कपड़ो का पाक होना
- नमाज़ पढने की जगह का पाक होना
- बदन के सतर का छुपा हुआ होना
- नमाज़ का वक्त होना
- किबले की तरफ मुह होना
- नमाज़ की नियत यानि इरादा करना
ख़याल रहे की पाक होना और साफ होना दोनों अलग अलग चीज़े है। पाक होना शर्त है, साफ होना शर्त नहीं है। जैसे बदन, कपडा या जमीन नापाक चीजों से भरी हुवी ना हो. धुल मिट्टी की वजह से कहा जा सकता है की साफ़ नहीं है, लेकिन पाक तो बहरहाल है।
- बदन का पाक होना
नमाज़ पढने के लिए बदन पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। बदन पर कोई नापाकी लगी नहीं होनी चाहिए. बदन पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो वजू या गुस्ल कर के नमाज़ पढनी चहिए।
2. कपड़ो का पाक होना
– नमाज़ पढने के लिए बदन पर पहना हुआ कपडा पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। कपडे पर कोई नापाकी लगी नहीं होनी चाहिए। कपडे पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो कपडा धो लेना चाहिए या दूसरा कपडा पहन कर नमाज़ पढ़ लेनी चाहिए।
3.नमाज पढ़नेकी जगह का पाक होना।
– नमाज़ पढने के लिए जिस जगह पर नमाज पढ़ी जा रही हो वो जगह पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। जगह पर अगर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो जगह धो लेनी चाहिए या दूसरी जगह नमाज़ पढ़ लेनी चाहिए।
4.बदन के सतर का छुपा हुवा होना।
– नाफ़ के निचे से लेकर घुटनों तक के हिस्से को मर्द का सतर कहा जाता है। नमाज़ में मर्द का यह हिस्सा अगर दिख जाये तो नमाज़ सही नहीं मानी जा सकती.। और औरतों को सिर से लेकर पैर तक पूरा हाथ पैर और बदन के सारे हिस्सों को ढक्का हूवा रखना चाहिए यानी की बड़ी चद्दर या दुपट्टे से ठक्क कर नमाज अदा करें।
5. नमाज़ का वक्त होना।
– कोई भी नमाज़ पढने के लिए नमाज़ का वक़्त होना ज़रूरी है। वक्त से पहले कोई भी नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती और वक़्त के बाद पढ़ी गयी नमाज़ कज़ा नमाज़ मानी जाएगी।
6. किबले की तरफ मुंह होना।
– नमाज़ हमेशा क़िबला रुख होकर ही पढ़नी चाहिए। मस्जिद में तो इस बारे में फिकर करने की कोई बात नहीं होती, लेकिन अगर कहीं अकेले नमाज़ पढ़ रहे हो तो क़िबले की तरफ मुह करना याद रखे। और औरतें अपने घर या कहीं और जगह बाहर जाए तब भी किबले के बारेमे हो सके तो जान ले फिर नमाज अदा करें। बेहतर है के बाहर कही सफर में हों तो वहां किसिसे पूछ ले और अगर ना मालूम हो तो कोई एक जगह पर जहां दिल गवाही दे वहां किबला जान कर नमाज पढ़ लेने में भी कोई हर्ज नहीं।
7.नमाज की नियत यानी की इरादा करना।
– नमाज पढ़ते वक़्त नमाज़ पढ़ें का इरादा करना चाहिए।
फर्ज नमाज़ की रकअत👇
सुन्नत से साबित नमाज़ की रकाअते।
- नमाज़े फ़ज्र : दो सुन्नतें, दो फ़र्ज़। (नमाज़े फज़्र चार रकअतें हुईं)
- नमाज़े ज़ोहर : चार सुन्नतें चार फ़र्ज़ दो सुन्नतें दो नफिल। (नमाज़े ज़ोहर बारह रकअतें हुई)
- नमाज़े असर : चार सुन्नत,चार फ़र्ज़। (नमाजे असर आठ रकअते हूई)
- नमाज़े मगरिब : तीन फ़र्ज़, दो सुन्नतें, दो नवाफिल। (नमाजे मगरिब सात रकअतें हुई)
- नमाज़े इशा : चार सुन्नत, चार फ़र्ज़ और दो सुन्नतें दो नवाफिल, तीन वित्र और दो नवाफिल । (नमाज़े इशा चौदह रकअतें और तीन रकअत वित्र की ऐसे सत्तरह रकअतें हुई)👇
- नमाज़े वित्र : नमाज़े वित्र दरअस्ल रात की नमाज़ है, जो तहज्जुद के साथ मिलाकर पढ़ी जाती है। जो लोग रात को उठने के आदी न हों वह वित्र भी नमाज़े इशा के साथ ही पढ़ सकते हैं।
- अपना बदन पाक करने के लिए गुसल करे।
- वुज़ू करे।“ जब आदमी वुजू करता है तो चेहरा धोने से चेहरे के और हाथ धोने से हाथों के और सर का मस्ह करने से सर के और पाउं धोने से पाउं के गुनाह झड़ जाते हैं । "
- मुसल्ला बिछा कर क़िब्ला रुख खड़े हो जाइये।
- पहले नियत करे। (जो नमाज़ पढ़ रहे है उस का नाम ले।
- अल्लाह हु अकबर कहते हुए कानो की लौ तक हाथ लेके जाइये और नाफ के निचे या नाफ के ऊपर बांध लीजिये। (औरतें अपने सही तरीके से हाथ बांधे)
- सबसे पहले सना पढ़े।
- फिर त’अव्वुज पढ़े (यानी की आउजो बिल्लाहि मिन्नश..... पूरा पढ़े)।
- फिर सूरहे फातिहा पढ़े।
- फिर कोई भी एक सूरह पढ़े जो आप को याद हो। (यानी कुल्हू वल्लाहु अहद...या फिर कोई भी छोटी सुरह पढ़े)
- फिर रुकू में जाए। (रुकू में जाने के बाद तीन बार "सुबहान रब्बी अल अजीम" यह पढ़े।)
- फिर रुकू से सीधे खड़े होते वक़्त एक बार "समी अल्लाहु लेमन हमीदा" यह कहे। फिर सीधे खडे रहकर एक बार यूं कहें "रब्बना लकल हम्द"।
- फिर सजदा करे। (सजदे में जाने के बाद तीन बार "शुबहान रब्बी अल आला" यह पढ़े। सजदा 2 बार करना है और दो सजदों के बीच में "अल्लाहु अकबर" कहें )
- आप की एक रकत मुकम्मल हुई। पहली रकअत मुकम्मल होने के बाद दूसरी रकत के पढ़ने के लिए खड़े हो जाइये।
- और पहली रकअत की तरह, इसी तरह दूसरी रकत पढ़नी है। दूसरी रकत मुकम्मल होने के बाद आप को कायदे में दो जानू बैठे रहना है और निचे जो बताया गया है वो पढ़ना है।
- फिर अतहीयातो लिल्लाहि पढ़ना है।
- फिर दरूद इब्राहिम पढ़ना है।
- फिर दुआए क़ुनूत पढ़ना है।
- फिर सलाम फेरना है। (सलाम सीधे और उलटे साइड फेरते वक़्त "अस्सलामु अलयकुम व रहमतुल्लाही व बरकातहू" पढ़ना है। )
- आप की दो रकअत नमाज़ पूरी हुई। और अगर चार रकअत सुन्नत है तो सब रकअत में दिए हुवे तरीके से ही पढ़ना हैं। पर दूसरी रकअत में सजदो के बाद बैढ़ कर सिर्फ अतहीयातो लिल्लाहि" पढ़े और फिर खड़े हो जाए और दो रकअत मुकम्मल करने के बाद अतहीयातो लिल्लाहि, फिर दरूद इब्राहिम फिर दुआए क़ुनूत पढ़ कर सलाम फेरले।
- बिलकुल वैसे ही अगर चार रकअत फर्ज है तो सब रकअत में दिए हुवे तरीके से ही पढ़ना हैं। पर दूसरी रकअत में सजदो के बाद बैढ़ कर सिर्फ अतहीयातो लिल्लाहि" पढ़े और फिर खड़े हो जाए और बाकी की दो रकअत में खड़े होकर हाथ बांध कर सूरहे फातिहा के बाद कोई सुराह ना मिलाए। फिर सीधा रुकुअ में जाए और फिर दो सजदो के बाद अतहीयातो लिल्लाहि, फिर दरूद इब्राहिम फिर दुआए क़ुनूत पढ़ कर सलाम फेरले।
तीन रकअत Namaz Ka Tarika In Hindi
चार रकअत Namaz Ka Tarika In Hindi
नमाज़ के मुख़्तलिफ़ 25 फ़ज़ाइल है।
- अल्लाह पाक की खुशनूदी का सबब है ।
- नमाज़ प्यारे आका की आंखों की ठन्डक है ।
- अम्बियाए किराम की सुन्नत नमाज़ है नमाज़ अंधेरी क़ब्र का चराग है।
- नमाज़ अज़ाबे कब्र से बचाती है है "।
- नमाज़ क़ियामत की धूप में साया है ।
- नमाज़ पुल सिरात के लिये आसानी है ।
- नमाज़ नूर है।
- नमाज़ जन्नत की कुन्जी है ।
- नमाज़ जहन्नम के अज़ाब से बचाती है ।
- नमाज़ से रहमत नाजिल होती है ।
- अल्लाह पाक बरोज़े कियामत नमाज़ी से राजी होगा ।
- नमाज़ दुआओं की क़बूलिय्यत से बदन नमाज़ दीन का सुतून है ।
- नमाज़ से गुनाह मुआफ़ होते हैं ।
- नमाज़ बीमारियों से बचाती है ।
- नमाज़ से राहत मिलती है ।
- नमाज़ से रोज़ी में बरकत होती है ।
- नमाज़ बे हयाई और बुरे कामों से बचाती है ।
- नमाज़ शैतान को ना पसन्द है ।
- नमाज़ क़ब्र के अंधेरे में तन्हाई की साथी है ।
- नमाज़ नेकियों के पलड़े को वज़्नी बना देती है।
- नमाज़ मोमिन की मेराज है ।
- नमाज़ का वक्त पर अदा करना तमाम आमाल से अफ़ज़ल है।
- नमाज़ी के लिये सब से बड़ी नेअ'मत यह है कि उसे बरोज़े क़ियामत अल्लाह पाक का दीदार होगा ।💞
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