ये कलाम ए सबा मुस्तफा से कह देना एक ऐसे बंदे का सलाम है।
जो खुद मदीने के लिए जा न पाया हो और कह रहा हो ज़ाईरे तय्यबा से के :"आका से इतना कह देना एक मुद्दत हुवी जुदाई को देदो रुखसत सहा मदीने की। या रसुलल्लाह या हबीबल्लाह दिल मेरा तोड़ कर मुझे छोड़ कर काफिला चल दिया मदीने का।" बस इसी तरह ज़ाईरे तय्यबा से अपने दिल का सलाम कहते हुवे की जाकर ये सलाम कहना अदब से के तुम्हारा गुलाम आया तुम्हारे दर पर और न जाने कितने तड़पते हुवो को छोड़ आया। जो तड़पते है तय्यबा की गलियों के लिए। जो तड़पते हैं तय्यबा की फिजाओं के लिए। जो तड़पते हैं तय्यबा का मंजर देखनेको। जो तड़पते है मुस्तफा स. अ. व. के दरबार के दीदार को। जो तड़पते है आका को अपने दिल का हाल बयान करने के लिए। बेशक कुछ राज होते ही ऐसे हैं जो सिर्फ और सिर्फ सुनाने ही आका को होते हैं। 😌🤲❤️
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ए सबा मुस्तफा से कह देना |
ऐ सबा मुस्त़फा से कह देना,
ग़म के मारे सलाम कहते हैं।
याद करते है तुमको शाम-ओ-सहर,
बे-सहारे सलाम कहते हैं।
अल्लाह अल्लाह हुज़ूर की बातें,
मरहबा रंगो नूर की बातें,
चांद जिनकी बलायें लेता है,
और तारे सलाम कहते हैं।
ऐ सबा मुस्त़फा से कह देना,
ग़म के मारे सलाम कहते है।
आशिकों का सलाम ले जाओ,
गम ज़दों का पयाम ले जाओ,
हाजियों मुस्तफा से केह देना,
बेसहारे सलाम कहते हैं।
ज़ाईरे क़ाबा तू मदीने में,
मेरे आक़ा से इतना कह देना,
प्यारे आक़ा रसूल सुन लीजे,
ग़म के मारे सलाम कहते हैं।
ऐ सबा मुस्त़फा से कह देना,
ग़म के मारे सलाम कहते हैं।
ज़िक्र था आखरी महीने का,
तज़किरा छिड़ गया मदीने का,
हाजियों मुस्त़फा से कह देना,
ग़म के मारे सलाम कहते हैं।
जाइरे तयबा तू मदीने में,
प्यारे आका से इतना कह देना,
आपकी गर्द राह को आका,
चांद तारे सलाम कहते हैं।
जाइरे तयबा तू मदीने में,
सोहन्या काश इतना कह देना,
के इसम मिल जाए फिर मदीने का,
काम बन जायेगा कमिने का,😌🤲
जाके उनको दिखाऊगा मैतो,😔
जखमे दिल और दाग सीने का। ❤️😔
जाइरे तयबा तू मदीने में,
प्यारे आका से इतना कह देना,
आपकी गर्द राह को आका,
चांद तारे सलाम कहते हैं।
ऐ सबा मुस्त़फा से कह देना,
ग़म के मारे सलाम कहते हैं।
सब्ज़ ग़ुम्बद का आंख में मंज़र,
और तसव्वुर में आपका मिम्बर,
सामने जालियां हैं रौज़े की,
आजिज़ी से सलाम कहते हैं।
ऐ सबा मुस्त़फा से कह देना,
ग़म के मारे सलाम कहते हैं।
अल्लाह अल्लाह हुज़ूर के ग़ेंसू,
भीनी भीनी महकती वोह खुश्बू,
जिनसे मामूर है फिज़ा हर सू,
वो नज़ारे सलाम कहते हैं।
ऐ सबा मुस्त़फा से कह देना,
ग़म के मारे सलाम कहते हैं।
ऐ ख़ुदा के ह़बीब प्यारे रसूल,
ये हमारा सलाम कीजे कुबूल,
आज महफ़िल में जितने हाज़िर हैं,
मिलके सारे सलाम कहते हैं।
ऐ सबा मुस्तफा से कह देना,
ग़म के मारे सलाम कहते हैं।
याद करते है तुमको शाम-ओ-सहर,
दिल हमारे सलाम कहते हैं।
नात ख्वांन के नाम के साथ उनके पढ़े हुवे कलाम ऐ सबा मुस्तफा से कह देना।👇
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