पहुंचूं दरे सरकार पे नात लिरिक्स इन हिंदी/इंग्लिश/ Pahuchoon Dare Sarkar Pe Chaha To Yahi Hai Lyrics in hindi/english नात ख्वान ज़ोहेब अशरफ़ी की आवाज में बेहतरीन नात शरीफ पहुंचूं दरे सरकार पे नात लिरिक्स इन हिंदी/इंग्लिश/ Pahuchoon Dare Sarkar Pe Chaha To Yahi Hai Lyrics in hindi/english पहुंचूं दरे सरकार पे नात लिरिक्स इन हिंदी/इंग्लिश/ Pahuchoon Dare Sarkar Pe Chaha To Yahi Hai Lyrics in hindi/english हैं मेरे ख़यालों में वो एहसास की सूरत, मैं भूल जाऊं उनको ये मुमकिन ही नहीं है, दिल सुनके उनका नाम धड़कता है अदब से, हालांकि उन्हें आंख से देखा भी नहीं है! पहुंचूं दरे सरकार पे चाहा तो यही है, आगे मेरी तक़दीर है, तमन्ना तो यही है। यह उनकी रज़ा है मुझे भेजें मुझे रोकें, वापस मैं नहीं आऊंगा, सोचा तो यही है। पहुंचूं दरे सरकार पे चाहा तो यही है, आगे मेरी तक़दीर है, तमन्ना तो यही है। हैं गुंबदे ख़ज़रा के सिवा और भी जलवे, आंखों के लिए ख़ास, नज़ारा तो यही है। पहुचूं दरे सरकार पे चाहा तो यही है, आगे मेरी तक़दीर है, तमन्ना तो यही है। इज़हार ए ग़म ए हिज्...
आज की मेरी पोस्ट हैं इस्लाम में रिश्तेदारों के एहतीराम के हवाले से। के हमे इनके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए।
हम सब के अपने अपने परिवार और अपने रिश्तेदार होते है तो हमें अपने रिश्तेदारों के साथ किस तरीके से पेश आना चाहिए या कैसे किसीके साथ बरताव करना चाहिए इसकी दिनी मालुमात मैं इस पोस्ट के जरिए आप तक पहोचाना चाहती हुं।
हम सबको हमारे तमाम रिश्तेदारों के साथ अच्छा बरताव करना चाहिए। हजरते सैय्यदुना आसिम र. अ. से रिवायत है की रसुल्ललाह स. अ. व. ने फरमाया : " जिस को यह पसंद हो की उम्र में दराजी और रिज्क में फराखी हो और बुरी मौत दफअ हो वोह अल्लाह त आला से डरता रहें और रिश्तेदारों से हुस्ने सुलूक करें।"
मुस्तफा जाने रहमत, शम ए बज्मे हिदायत स. अ. व ने फ़रमाया: "रिश्ता काटने वाला जन्नत में नहीं जायेगा।"
रिश्तेदारों से सिलए रेहमी और हुस्ने सुलूक करना हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज हैं। सीलए रेहमी का मतलब हैं रिश्तों को जोड़ना यानी की रिश्ते वालो के साथ नेकी और सुलूक करना। सारी उम्मत पर ये चीज वाजिब है की वो अपने रिश्तेदारों के साथ सीलए रेहमी करें, और रिश्ता तोड़ने से बचें क्योंकि वो हराम हैं। ये चलन आज के दौर में आम हो चुका है। आज कल परिवारों में और रिश्तेदारों में रिश्तों को तोड़ना गलतफहमियों की वजह से आम हो चुका हैं।
किन रिश्तेदारों से सिला (रेहम) वाजिब है?
जिन रिश्ते वालों के साथ सिला (रेहम) वाजिब है वोह कौन हैं? तो बाज उलमा ए किराम ने फरमाया के : 1.वालीदैन का मरतबा सब से बढ़ कर हैं। 2. इनके बाद वो रिश्तेदार जिनसे नस्बी रिश्ता होने की वजह से निकाह हमेशा के लिए हराम हो। और 3. इनके बाद बाकी के नजदीकी रिश्तेदारों से हूशने सुलूक और रेहम करना वाजिब है।
इस बात को और भी अच्छी तरह से समझने के लिए आपके सामने कुछ बाते अर्ज कर देती हूं। कुछ हिदायत हैं जिन्हे जान कर आप समज पाएंगे के हमे किन किन रिश्तेदारों से सिला वाजिब है।
पहली हिदायत:- जिन का रिश्ता मां और बाप के जरिए से हो, ये 3 तरह के रिश्ते होते हैं , 1. वो रिश्ते जोकि बाप की तरफ से दादा, दादी, चाचा, फूफी, वगैरह। 2. दूसरे वो रिश्ते जो मां की तरफ से नाना, नानी, मामूं, खाला, अख्याफी (यानी की जिनका बाप अलग अलग हो और मां एक हो ऐसे भाई और बहन का) भाई वगैरह। 3. दोनो के कराबत दार जैसे हकीकी यानी सगे भाई और बहन जिसका रिश्ता कवि होगा उससे सिला वाजिब।
दूसरी हिदायत:- अहले कराबत में आने वाले रिश्ते,,,जो दो तरीके के होते हैं। 1. एक वो जिनसे निकाह हराम हैं, इन्हे जी रेहम महरम कहा जाता हैं। यानी की ऐसा करीबी रिश्तेदार की अगर इन्मेसे जिस किसीको भी मर्द और दूसरे को औरत फर्ज किया जाए तो निकाह हमेशा के लिए हराम हो जैसे: बाप, मां, बेटा, बेटी, भाई, बहन, चाचा, फूफी, मामू, खाला, भांजा, भांजी वगैरह। जरूरत के वक्त इन सबकी खिदमत करना फर्ज है और न करने वाला गुनहगार होगा। 2. दूसरे वोह जिन से निकाह हलाल हैं। जैसे खाला, मामू, चाचा, की औलादे इन के साथ एहसान व सुलुक करना सुन्नते मुअक्क्दा हैं। और बोहोत सवाब हैं लेकिन हर एक कराबत दार बल्की सारे मुसलमानों के साथ अच्छे अखलाक के साथ पेश आना जरूरी है।और इन को इज्जा पहुंचाना हराम हैं।
तीसरी हिदायत:- ससुराली दूर के रिश्तेदार जी रेहम में सामिल नहीं है, क्योंकि वो मेहरम में सामिल नहीं है पर फिरभी कुछ रिश्तेदार जैसे की सास, और दूध की मां (यानी की सोहर या बीवी को दूध पिलाने वाली मां) अगर अलग हो तो , और बाज लोग मेहरम भी नही हो तब भी इनके भी कुछ हुकूक के दायरे हैं। और यहां तक कि पड़ोसी के भी हक होते मगर ये लोग फर्ज में सामिल नहीं है । पर फिरभि इनके साथ भी सिला (रेहम) से पेश आना चाहिए।।
ये सारी बातें सिला (रेहम) के हवाले से थी जिनको जान लेना और हुशने सुलूक करना हर मोमिन मर्द और औरत पर वाजिब है। आज कल के माहोल में इन बातो को जान कर समझना और इस पर अमल भी करना बोहोत ही जरूरी बन चुका हैं। क्योंकि आज कल लोग दूसरो का दिल दुखाने में, किसीके साथ गलत करने मे, या किसी भी रिश्तेदार या पड़ोसी के हुकूक अदा न करने के बारे में कोई नहीं सोचता। इसलिए👇
नाराज रिश्तेदारों से सुलेह कर लीजिए:-
मेरी आप सब से यही इल्तिज़ा है की अगर आप की किसी रिश्तेदार से नाराजगी हैं तो अगरचे रिश्तेदार ही कुसुरवार हो फिरभी आप सुलेह के लिए खुद पहल कीजिए। और खुद आगे बढ़ कर अपने सारे तालुकात को संवार लीजिए। हां अगर कोई सरिअत के मुताबिक कोई मशला या रुकावट है तो बेशक सूलेह न कीजिए।
अगर आपको मेरी दीनी मालूमात की बातें अच्छी लगी हो तो मेरी इस पोस्ट को जरूर शेयर करे और दूसरो तक ये बातें पहोचाये ताकि कहीं पर किसी मुसलमान में कोई बदलाव आ जाए और कोई रिश्तेदार रूठा हुवा हो और उनके बीच सुलेह हो जाए और इस नेक काम का जरिया आप बन सकते है। इन शा अल्लाह।
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