पहुंचूं दरे सरकार पे नात लिरिक्स इन हिंदी/इंग्लिश/ Pahuchoon Dare Sarkar Pe Chaha To Yahi Hai Lyrics in hindi/english नात ख्वान ज़ोहेब अशरफ़ी की आवाज में बेहतरीन नात शरीफ पहुंचूं दरे सरकार पे नात लिरिक्स इन हिंदी/इंग्लिश/ Pahuchoon Dare Sarkar Pe Chaha To Yahi Hai Lyrics in hindi/english पहुंचूं दरे सरकार पे नात लिरिक्स इन हिंदी/इंग्लिश/ Pahuchoon Dare Sarkar Pe Chaha To Yahi Hai Lyrics in hindi/english हैं मेरे ख़यालों में वो एहसास की सूरत, मैं भूल जाऊं उनको ये मुमकिन ही नहीं है, दिल सुनके उनका नाम धड़कता है अदब से, हालांकि उन्हें आंख से देखा भी नहीं है! पहुंचूं दरे सरकार पे चाहा तो यही है, आगे मेरी तक़दीर है, तमन्ना तो यही है। यह उनकी रज़ा है मुझे भेजें मुझे रोकें, वापस मैं नहीं आऊंगा, सोचा तो यही है। पहुंचूं दरे सरकार पे चाहा तो यही है, आगे मेरी तक़दीर है, तमन्ना तो यही है। हैं गुंबदे ख़ज़रा के सिवा और भी जलवे, आंखों के लिए ख़ास, नज़ारा तो यही है। पहुचूं दरे सरकार पे चाहा तो यही है, आगे मेरी तक़दीर है, तमन्ना तो यही है। इज़हार ए ग़म ए हिज्...
माहे रजब की अजमत व फजीलत इन हिंदी/Mahe Rajjab Ki Azmat Wa Fazilat In Hindi
माहे "रजब" के तीन हुरूफ की अजमत
बुजुरगाने दिन रहिमुहुमुल्लाहुल मुबीन फरमाते हैं: " रजब में तीन हुरूफ हैं, 'रे' 'जीम' और ' बे '
" रे " से मुराद रेहमते इलाही हैं।
" जीम " से मुराद बंदे का जुर्म हैं।
" बे " से मुराद बिर यानी एहसान और भलाई हैं।
गोया अल्लाह तआला फरमाता हैं : मेरे बंदेके जूर्म को मेरी रहमत और भलाई के दरम्यान करदों।
अल्लाह अजवजल्लाह के आखिरी नबी , हमारे प्यारे आका मोहम्मदे अरबी सल्लल्लाहो अलयही व आलेही वसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया : माहे रजब अल्लाह का महीना है , शा'बान मेरा महीना है और रमजान मेरे उम्मतियों का महीना है ।
पांच रातें ऐसी जिसमे दुआ कभी रद नहीं होती
अल्लाह अजवजल्लाह के आखिरी नबी , हमारे प्यारे आका मोहम्मदे अरबी सल्लल्लाहो अलयही व आलेही वसल्लमने इर्शाद फरमाया की : "पांच रातें ऐसी हैं जिस में दुआ कभी रद नहीं की जाती।"
( 1 ) रजब की पहली ( या'नी चांद ) रात।
( 2 ) पन्दरह शा'बानकी रात ( या'नी शबे बराअत )।
( 3 ) जुमुआ की रात।
( 4 ) ईदुल फित्रकी ( चांद ) रात।
( 5 ) ईदुल अज्हाकी ( या'नी जुल हिज्जा की दसवीं ) रात ।
100 साल के रोजेका सवाब
हजरत सैयदना सलमान फारसी रद्दीयल्लाहो अन्हो से मरवी हैं की सरवरे कौनैन सल्ललाहो अलयहे वसल्लम ने इरशाद फरमाया : "रजब में एक दिन और रात हैं, जो उस दिन रोजा रखे और रात को इबादत करें तो गोया उसने 100 साल के रोजे रखे, और 100 रात (सब) बेदारी (इबादत) की ।" और ये तारीख माहे रजब की 27 तारीख हैं।
साल भर के रोजे का सवाब
मुस्तफ़ा जाने रहमत सल्लल्लाहो अलयहे वसल्लम ने फ़रमाया : "बेशक रजब बड़ा अजमत वाला महीना है कि इस में नेकियों का अज्र बढ़ा दिया जाता है । जिस ने इस महीने के किसी एक दिन का रोज़ा रखा वोह ऐसा है जैसा साल भर के रोजे रखे ।"
सहाबी इब्ने सहाबी , जन्नती इब्ने जन्नती , हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर से पूछा गया : क्या नबिय्ये पाक सल्लल्लाहो अलयहे वसल्लम रजबुल मुरज्जब में रोज़ा रखते थे ? इर्शाद फ़रमाया :"हां!और रजब के रोजों को अहम्मिय्यत भी देते थे ।"
इस से ये साबित होता हैं की माहे रजब के रोजों की बोहोत ही अजमत हैं। और बेहतर ये हैं की नेकियों में इजाफे के लिए और रमजान मुबारक के रोजों की कसरत के लिए ही सही माहे रजब के रोजों की कसरत करनी चाहिए, ताकि न सिर्फ नेकियों को बड़ा सकते हैं बल्की हम अपने जिस्म को भी फर्ज रोजे रखने के लिए तैयार भी कर सकते हैं। जिस से दीनी और दुनियावी दोनो फायदे होगें। इन शा अल्लाह।
रजब के रोजों की एक और फजीलत : जहन्नम के दरवाजे बन्द
आरिफ़ बिल्लाह शैख ज़ियाउद्दीन अब्दुल अज़ीज़ दैरीनी से मरवी है कि : "जिस ने रजब के सात रोजे रखे उस के लिये जहन्नम के दरवाजे बन्द कर दिये जाते हैं।
और जिस ने रजब के दस रोजे रखे वोह अल्लाह पाक से जो मांगता है अल्लाह पाक उसे वो अता फ़रमाता है और बेशक जन्नत में एक महल बन जाता हैं। जिस के सामने दुन्या एक परिन्दे के घोंसले की तरह है और उस महल में सिर्फ रजब के रोजे रखने वाले ही दाखिल होंगे । ❤️❤️❤️
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