पहुंचूं दरे सरकार पे नात लिरिक्स इन हिंदी/इंग्लिश/ Pahuchoon Dare Sarkar Pe Chaha To Yahi Hai Lyrics in hindi/english नात ख्वान ज़ोहेब अशरफ़ी की आवाज में बेहतरीन नात शरीफ पहुंचूं दरे सरकार पे नात लिरिक्स इन हिंदी/इंग्लिश/ Pahuchoon Dare Sarkar Pe Chaha To Yahi Hai Lyrics in hindi/english पहुंचूं दरे सरकार पे नात लिरिक्स इन हिंदी/इंग्लिश/ Pahuchoon Dare Sarkar Pe Chaha To Yahi Hai Lyrics in hindi/english हैं मेरे ख़यालों में वो एहसास की सूरत, मैं भूल जाऊं उनको ये मुमकिन ही नहीं है, दिल सुनके उनका नाम धड़कता है अदब से, हालांकि उन्हें आंख से देखा भी नहीं है! पहुंचूं दरे सरकार पे चाहा तो यही है, आगे मेरी तक़दीर है, तमन्ना तो यही है। यह उनकी रज़ा है मुझे भेजें मुझे रोकें, वापस मैं नहीं आऊंगा, सोचा तो यही है। पहुंचूं दरे सरकार पे चाहा तो यही है, आगे मेरी तक़दीर है, तमन्ना तो यही है। हैं गुंबदे ख़ज़रा के सिवा और भी जलवे, आंखों के लिए ख़ास, नज़ारा तो यही है। पहुचूं दरे सरकार पे चाहा तो यही है, आगे मेरी तक़दीर है, तमन्ना तो यही है। इज़हार ए ग़म ए हिज्...
दुआ का तरीका हमे मुस्तफा ने सिखाया।।।
हजरते सैयदना अनश रद्दी अल्लाहो त आला अन्हु फरमाते है की "" एक मरतबा हमारे आका मुहम्मद मुस्तफा स. अ. व एक ऐसे शख्स की इयादत (बीमार को पुछना) के लिए तशरीफ ले गए जो बहुत ही ज्यादा कमजोर हो चुका था। नबी ए करीम स. अ. व ने उस शख्स से फरमाया की "" क्या तुम अल्लाह पाक से कोई दुआ करते थे??"" तो उस शख्श ने अर्ज़ किया, "" जी हां! मैं ये दुआ करता था की "" अय अल्लाह अजवजल्लाह ! अगर तू मुझे आखीरत में कोई सजा देने वाला है तो वो सजा मुझे दुनिया में ही दे दे । "" नबी ए करीम स. अ. व ने फरमाया की "सुब्हान अल्लाह!!" और फिर फरमाया की अगर तुम इसे बर्दास्त करनेकी ताकत नहीं रखते, तो तुम यूं क्यूं नहीं केहते की "" ऐ हमारे रब! हमें दुनिया और आखिरत में भलाई अता फरमा और दोजख के अजाब से हमारी हिफाजत फरमा।"" फिर आप स. अ. व ने उस शख्स के लिए खुद दुआ की तो अल्लाह पाक ने उस शख्स को बीमारी और कमजोरी से शिफा अता फरमादी।
तो देखा आप सब ने की दुआ में कितना असर होता हैं। ये दुआ ही है जो हर मुश्किल, हर परेशानी, हर एक कमजोरी, हर एक मुश्किल को आसान करती हैं।
दुआ मोमिन का हथियार है इस बात पर पहले भी मेने एक पोस्ट लिखी हुवी है जो आप सब ने जरूर पड़ी होगी। दुआ मोमिन का हथियार हैं
जिसमे मेने पहले भी बताया था की दुआ मोमिन के लिए "दाफ ए बला है" यानी की हर आने वाली मुसीबत को दुआ टाल देती है।।
दुआ की अहमियत और फजीलत 👇
दुआ की अहमियत दुआ मांगने वाला हर मुसलमान जानता ही है । हमें अल्लाह पाक से क्या, किन अल्फाज में, किस तरह मांगना चाहिए इस की अहमियत का अंदाजा आगे लिखी हुवी हदीस पाक से लगाया जा सकता है। हमारा खालिको मालिक अजवजल्लाह कैसा करीम है की मांगने वालों पर खुश होता है और न मांगने वालों पर अपना गजब फरमाता हैं।। लिहाज़ा हम सबको चाहिये की अल्लाह करीम से अपनी हाजात और खैर तलब करते रहें।
अल्लाह पाक से खैर तलब करने को "दुआ" केह्ते है।
"दुआ" न सिर्फ एक इबादत है बल्कि नबी ए पाक
स. अ. व ने फरमाया की "दुआ" इबादत का मग्ज हैं। यानी की दुआ मोमिन का हथियार हैं , दिन का सुतून और आसमानों जमीन का नूर हैं।।
दुआ ऐसी इबादत है जो इस बात का एहसास दिलाती है की बंदा अल्लाह पाक से हम कलाम हैं। यानी की अल्लाह के सामने अपनी सारी बात रखना बिना कुछ भी छुपाए। सिर्फ और सिर्फ दुआ के जरिये ही बंदा अल्लाह करीम की बारगाह में अपनी हाजात और जरूरियात को पेश करता हैं।।
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