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पहुंचूं दरे सरकार पे नात लिरिक्स इन हिंदी/इंग्लिश/Pahuchoon Dare Sarkar Pe Chaha To Yahi Hai Lyrics in hindi/english

  पहुंचूं दरे सरकार पे नात लिरिक्स इन हिंदी/इंग्लिश/ Pahuchoon  Dare Sarkar Pe Chaha To Yahi Hai Lyrics in hindi/english नात ख्वान ज़ोहेब अशरफ़ी की आवाज में बेहतरीन नात शरीफ  पहुंचूं दरे सरकार पे नात लिरिक्स इन हिंदी/इंग्लिश/ Pahuchoon  Dare Sarkar Pe Chaha To Yahi Hai Lyrics in hindi/english पहुंचूं दरे सरकार पे नात लिरिक्स इन हिंदी/इंग्लिश/ Pahuchoon  Dare Sarkar Pe Chaha To Yahi Hai Lyrics in hindi/english हैं मेरे ख़यालों में वो एहसास की सूरत, मैं भूल जाऊं उनको ये मुमकिन ही नहीं है, दिल सुनके उनका नाम धड़कता है अदब से, हालांकि उन्हें आंख से देखा भी नहीं है! पहुंचूं दरे सरकार पे चाहा तो यही है, आगे मेरी तक़दीर है, तमन्ना तो यही है। यह उनकी रज़ा है मुझे भेजें मुझे रोकें, वापस मैं नहीं आऊंगा, सोचा तो यही है। पहुंचूं दरे सरकार पे चाहा तो यही है, आगे मेरी तक़दीर है, तमन्ना तो यही है। हैं गुंबदे ख़ज़रा के सिवा और भी जलवे, आंखों के लिए ख़ास, नज़ारा तो यही है। पहुचूं दरे सरकार पे चाहा तो यही है, आगे मेरी तक़दीर है, तमन्ना तो यही है। इज़हार ए ग़म ए हिज्...

दीनी मालूमात इन हिंदी/क़ज़ाए उम्री का त़रीक़ा इन हिंदी/ Kaza e Umri Ka Tarika In Hindi

दीनी मालूमात इन हिंदी/क़ज़ाए उम्री का त़रीक़ा इन हिंदी/ Kaza e Umri Ka Tarika In Hindi


आज इस पोस्ट में हम  दीनी मालूमात इन हिंदी/क़ज़ाए उम्री का त़रीक़ा इन हिंदी/ Kaza e Umri Ka Tarika In Hindi के बारे में जानेंगे। आज कल नमाज कजा होना आम हो चुका है जब की नमाज़ सबसे ज्यादा फर्ज है हर मोमिन मुसलमान मर्द और औरत और हर बालिग बंदे पर जो 12 साल से ता उम्र तक पढ़नी ही है। नमाज का न पढ़ना और उसे कजा करना बोहोत ही गुनाह का काम हैं और अल्लाह और उसके हबीब मोहम्मद मुस्तफा सल्ललाहो अलयहे व आलेहि वसल्लम का सबसे नपसंदीदा काम हैं। तो जितना हो सके अपने आप को नमाज का पाबंद बनाए। क्योंकि अगर नमाज जैसा अमल जी हम से ना हूवा जोकि सबसे आसान काम हैं जो की हम जैसे गुनहगार बंदों के लिए 50 फर्ज नमाज़ो मैसे हम उम्मती के लिए सिर्फ 5 नमाजे कर दी गई है जोके बोहोत ही आसान हो चुका तो अब हम भी क्यूं अपने इस आसन अमल को करके कामयाब ना हो! हमे अगर कामयाब होना हैं न सिर्फ दुनिया में बल्की आखिरत में भी तो हमें इस नमाज के दामन को थामे रखना पड़ेगा।।। और अगर किसी की नमाज़ ए कज़ा यानी की क़ज़ाए उम्री/ Kaza e Umri बाकी हैं तो जाने के बा आसानी हम इसे अपनी जिंदगी में ही रहकर केसे अदा कर सकते हैं।। आप जाने इस पोस्ट के जरिए।👇

🌹 *क़ज़ाए उम्री का त़रीक़ा* 🌹

क़ज़ा हर रोज़ की 20 रक्अ़तें होती हैं।

👉🏻2 फ़र्ज़ :- फ़ज्र नमाज के।

👉🏻4 फ़र्ज़ :- जो़हर नमाज के।

👉🏻4 फ़र्ज़ :- असर नमाज के।

👉🏻3 फ़र्ज़:-  मग़रिब नमाज के।

👉🏻4 फ़र्ज़ : ईशा नमाज के।

👉🏻3 वित्र :- इशा नमाज के।

    क़ज़ाए उम्री की निय्यत करने का तरीका।👇

➡जैसे- फ़ज्र की क़ज़ा हो तो यूं निय्यत करे:-👇
"सबसे पहली फ़ज्र नमाज जो मुझसे क़ज़ा हुई उसको अदा करता हूं"( या करती हूं)!

हर नमाज़ में इसी त़रह़ निय्यत कीजिए! और अगर निय्यत में लफ़्ज़ "क़ज़ा" कहना भूल गए तो कोई हरज नही, नमाज़ हो जाएगी!

अगर ज़्यादा नमाज क़ज़ा हो तो उनको अदा करने के लिए आसानी।👇


         1....पहली आसानी👇

➡अगर किसी पर ज़्यादा नमाज़े क़ज़ा हो और वो आसानी के लिए रुकूअ़ और सज्दे की तस्बीह़ तीन तीन बार पढ़ने के बजाए एक एक बार पढ़ेगा तो भी जाएज़ हैं!💫


        2....दुसरी आसानी👇

➡फ़ज्र के अलावा दुसरी चारों फ़र्ज़ नमाज़ों की तीसरी और चौथी रक्अ़त में सूरए फ़ातिह़ा (अलह़म्द शरीफ़) की जगह सिर्फ़ तीन बार "सुब्ह़ान अल्लाह" कह कर रुकूअ़ में चला जाए, मगर वित्र की नमाज़ में ऐसा न करे!

          3....तीसरी आसानी👇


➡क़ादए अख़ीरह (नमाज़ में आख़री बार बैठने को क़ादए अख़ीरह कहते हैं) तशह्हुद (यानी अत्तह्हिय्यात) के बाद दुरूदे इब्राहीम और दुआ़ की जगह सिर्फ़ "अल्लाहुम्मा सल्लि अ़ला मुह़म्मदिंव व आलेही" कह कर सलाम फैर दे!


          4.....चौथी आसानी👇

➡वित्र की तीसरी रक्अ़त में दुआ़ए कुनूत की जगह एक बार या तीन बार "रब्बिग़्फिरली" कहे!
*(फ़तावा रज़विय्या, जिल्द-8, सफ़ह़ा-157)*

      
 5.....नमाज़े कसर क़ज़ा👇

➡(सफ़र में जो नमाज़ पढ़ी जाती हैं उसे कसर कहते हैं)
(कसर में ज़ोहर, असर और इशा की चार रक्अ़त फ़र्ज़ की जगह दो रक्अ़त ही पढ़े)

सफ़र में जो नमाज़े क़ज़ा हुई हो उन्हे कसर करके ही पढ़े चाहे सफ़र में पढ़ो या वापस लौट के घर पर, क़स्र की क़ज़ा कसर ही पढ़ी जाएगी! और घर पर जो नमाज़ें क़ज़ा हुई हो उन्हे पूरी पढ़े!


     क़ज़ा नमाज़ों का वक़्त👇

क़ज़ा के लिए कोई वक़्त Fix नही उ़म्र में जब भी पढ़ेंगे तो बरिय्युज़िम्मा (यानी क़ज़ा की ज़िम्मेदारी से बरी) हो जाएगा!💫


👉🏻सिर्फ़ तीन वक़्तों में कोई भी नमाज़ न पढ़े👇

1... तुलूअ आफ़्ताब (यानी फ़ज्र के बाद से सूरज निकलने तक)

2... गुरूब आफ़्ताब (सूरज डूबते वक़्त या यूं समझे कि असर के बाद से मग़रिब तक)

3... जवाल के वक़्त (यानी दोपहर जोहर से 20 मिनिट पहले का वक्त)


   क़ज़ाए उम्री छुप कर पढे 👇

क़ज़ा नमाज़े छुप कर पढ़िए लोगों पर (या घर वालों या करीबी दोस्तों पर भी) इसका इज़्हार न कीजिए।

जैसे कि:-  किसी से ये मत कहे कि आज मेरी फ़ज्र क़ज़ा हो गई या मैं क़ज़ाए उम्री पढ़ रहा हूं या रहीं हूं वग़ैरा क्यूंकि नमाज़ क़ज़ा करना गुनाह हैं और गुनाह का इज़्हार करना भी मकरूह़े तह़रीमी व  गुनाह है।।।m
🌹 💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫🌹

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