पहुंचूं दरे सरकार पे नात लिरिक्स इन हिंदी/इंग्लिश/ Pahuchoon Dare Sarkar Pe Chaha To Yahi Hai Lyrics in hindi/english नात ख्वान ज़ोहेब अशरफ़ी की आवाज में बेहतरीन नात शरीफ पहुंचूं दरे सरकार पे नात लिरिक्स इन हिंदी/इंग्लिश/ Pahuchoon Dare Sarkar Pe Chaha To Yahi Hai Lyrics in hindi/english पहुंचूं दरे सरकार पे नात लिरिक्स इन हिंदी/इंग्लिश/ Pahuchoon Dare Sarkar Pe Chaha To Yahi Hai Lyrics in hindi/english हैं मेरे ख़यालों में वो एहसास की सूरत, मैं भूल जाऊं उनको ये मुमकिन ही नहीं है, दिल सुनके उनका नाम धड़कता है अदब से, हालांकि उन्हें आंख से देखा भी नहीं है! पहुंचूं दरे सरकार पे चाहा तो यही है, आगे मेरी तक़दीर है, तमन्ना तो यही है। यह उनकी रज़ा है मुझे भेजें मुझे रोकें, वापस मैं नहीं आऊंगा, सोचा तो यही है। पहुंचूं दरे सरकार पे चाहा तो यही है, आगे मेरी तक़दीर है, तमन्ना तो यही है। हैं गुंबदे ख़ज़रा के सिवा और भी जलवे, आंखों के लिए ख़ास, नज़ारा तो यही है। पहुचूं दरे सरकार पे चाहा तो यही है, आगे मेरी तक़दीर है, तमन्ना तो यही है। इज़हार ए ग़म ए हिज्...
Kutbe Aalam Bukhari Ki Karamat In Hindi/हज़रत कुत्बे आलम बुखारी की करामत इन हिंदी/दीनी मालूमात इन हिंदी
हम इस पोस्ट में हिंदी में जानेंगे की Kutbe Aalam Bukhari Ki Karamat In Hindi/हजरत कुत्बे आलम बुखारी की करामत इन हिंदी/दीनी मालूमात इन हिंदी के जरिए हज़रत कुत्बे आलम बुखारी की एक बेहतरीन करामत जो की तीन दिन तक जारी रही थी।
Kutbe Aalam Bukhari Ki Karamat In Hindi/ हजरत कुत्बे आलम बुखारी की करामत इन हिंदी
एक दिन हजरत सैयदना कुत्बे आलम रेहमतुल्लाहे अलयहे की साहबजादी की एक खदीमा आपकी खिदमत में आई। और केहने लगी : "हुजूर! मेरी बच्ची भूखी है, वो बगैर घी की रोटी नहीं खाती और वो जिद कर रहीं है।" हज़रत कुत्बे आलम रेहमतुल्लाहे अलयहे पर वजदानी कैफियत तारी थी। आपने हालते वजद में इरशाद फ़रमाया, " जाओ और जाकर देखो , वो कुएं में घी हैं। फकीरों की औलादों और खादिमों के लिए तो पानी भी घी हैं।" इतना कहकर आप वहां से उठकर चले गए।
आपकी ये बात उस खदिमा को ना – गवार मालूम हुवी। वो कहने लगी: हज़रत तो हम गरीब और मोहताजों का मजाक उड़ाते हैं, दुनियाके मालों दौलत से बेपरवाह होकर दुनियासे गोया ताल्लुक ही तोड़ लिया हैं। हजारों लोग आपके दर पर कुछ न कुछ हासिल करते हैं। मैने थोड़ा सा घी ही तो मांगा था और हजरत ने मुझे ये पानी का कुआ बता दिया।"
कुछ देर गुजरी थी के एक शख्स कुएं पर पानी लेने आया। उसने पानी निकालने के लिए कुएं में डोल डाली, तो डोल पानी की बजाए घी से भरी हूवी निकली। ये बात चारों तरफ फेल गई। आसपास के इलाकों से हजारों की तादाद में लोग आकर अपने बरतनों और मटकों में घी ले गए।
आपके एक खादिम ने इस वाकिये से आपको वाकिफ किया। आपने फिर दुआ फरमाई, "अय खुदा ! अब बस कर। अपने बुरहान को जलिलो रुसवा न कर। करामत के ज़रिए लोगों की भीड़ उसके दरवाजे न लगा। अय खुदा ! मुझे अपने से दूर करके इस दुनियां के लोगों की ख्वाहिश पूरी करने के काम में मशगूल न रख। मैं तो हर लम्हा सिर्फ तेरे साथ ही ताल्लुक रखना चाहता हूं।" उसके बाद कुएं का पानी फिरसे अपनी असली हालत पर आ गया।
तो ये थी बोहोत ही बेहतरीन Kutbe Aalam Bukhari Ki Karamat In Hindi/हजरत कुत्बे आलम बुखारी की करामत यानी की घी वाली करामत। इस करामत को घी के कुएं वाली करामत भी कह सकते हैं।
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